tag:blogger.com,1999:blog-365255902058574953.post6487654370531474347..comments2023-06-23T14:03:14.949+05:30Comments on मुझे भी कुछ कहना है: ग़ज़लसौरभ शेखर http://www.blogger.com/profile/16049590418709278760noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-365255902058574953.post-49574691307367631072011-02-08T13:07:49.813+05:302011-02-08T13:07:49.813+05:30मैंने पूछा चोर का हुलिया बताओ तो कहा
मूंछ उसकी आप...मैंने पूछा चोर का हुलिया बताओ तो कहा <br />मूंछ उसकी आप जैसी,रंग उसका आप जैसा<br /><br />आंच पर पानी का बर्तन बन गई है ज़िन्दगी<br />खौलता विश्वास हरदम और रिश्ता भाप जैसा<br /><br />इन दोनों शेरों पर भरपूर तालियाँ....वाह जी वाह...दाद कबूल करें...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-365255902058574953.post-13222492817993828642011-01-15T09:29:53.176+05:302011-01-15T09:29:53.176+05:30सौरभ जी....शानदार अभिव्यक्ति है...सौरभ जी....शानदार अभिव्यक्ति है...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-365255902058574953.post-67635270387952689852011-01-14T16:02:33.317+05:302011-01-14T16:02:33.317+05:30"आंच पर पानी का बर्तन बन गई है ज़िन्दगी
खौलता..."आंच पर पानी का बर्तन बन गई है ज़िन्दगी<br />खौलता विश्वास हरदम और रिश्ता भाप जैसा"<br />प्रिय सौरभ समय और समाज को जितने अच्छे से एक रचनाकार समझ सकता है,उतना शायद ही कोई और. वर्तमान समय में स्थितियां वाकई ऐसी ही हैं. गजल की सम्प्रेषणनीयता गजब की है.काफी समय बाद आ पाया हूँ.Rajivhttps://www.blogger.com/profile/05867052446850053694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-365255902058574953.post-37176730094206932192011-01-14T13:38:52.717+05:302011-01-14T13:38:52.717+05:30सौरभ जी आपकी यह ग़ज़ल खुल से आज के हालात को बया कर...सौरभ जी आपकी यह ग़ज़ल खुल से आज के हालात को बया कर रही है..अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.com