शहर का शख्श हर उसके दवा की बात करता है
जिसके फजल से गूंगा सुना कि बात करता हैवो जिसकी जल गई बेटी बड़ा नादान है यारों
कचहरी में वकीलों से सजा की बात करता है
खुदा जाने किताबों में पढ़ाते हैं भला क्या-क्या
कि मेरा फूल सा बच्चा नफा की बात करता है
जहाँ से आजतक लौटा नहीं आशिक कोई जिन्दा
वहीँ का आदमी है यह वफ़ा की बात करता है
यक़ीनन तल्ख़ गम होगा,बहुत गहरा वहम होगा
भला वह क्यूँ उजालों में दिया की बात करता है