शहर का शख्श हर उसके दवा की बात करता है
जिसके फजल से गूंगा सुना कि बात करता हैवो जिसकी जल गई बेटी बड़ा नादान है यारों
कचहरी में वकीलों से सजा की बात करता है
खुदा जाने किताबों में पढ़ाते हैं भला क्या-क्या
कि मेरा फूल सा बच्चा नफा की बात करता है
जहाँ से आजतक लौटा नहीं आशिक कोई जिन्दा
वहीँ का आदमी है यह वफ़ा की बात करता है
यक़ीनन तल्ख़ गम होगा,बहुत गहरा वहम होगा
भला वह क्यूँ उजालों में दिया की बात करता है
सुंदर ग़ज़ल..
जवाब देंहटाएं:: खुदा जाने किताबों में पढ़ाते हैं भला क्या-क्या
कि मेरा फूल सा बच्चा नफा की बात करता है ::
यह शेर तो पूरे समाज का आइना है !
खुदा जाने किताबों में पढ़ाते हैं भला क्या-क्या
जवाब देंहटाएंकि मेरा फूल सा बच्चा नफा की बात करता है
बहुत ही खूब एक एक शब्द भाव से लबरेज़ है
सुन्दर रचना ............पर मेरी नज़र में कुछ कमियां है इसमें ........एक कोशिश करता हूँ कुछ सुधार की .....उम्मीद है आपको बुरा नहीं लगेगा .......पेश है -
जवाब देंहटाएं"शहर का हर शख्स , उसकी दवा की बात करता है
जिसके फजल से सुना है कि गूंगा भी बात करता है,
वो जिसकी बेटी जल गई, वो बड़ा नादान है यारों
कचहरी में वकीलों से, वो सजा की बात करता है,
खुदा जाने किताबों में पढ़ाते हैं भला क्या-क्या
कि मेरा फूल सा बच्चा, नफे की बात करता है,
जहाँ से आज तक लौटा नहीं कोई आशिक जिन्दा
वहीँ का आदमी है यह, और वफ़ा की बात करता है,"
वो जिसकी जल गई बेटी बड़ा नादान है यारों
जवाब देंहटाएंकचहरी में वकीलों से सजा की बात करता है
वाह...वाह....वाह....भाई वाह....
नीरज