वो जो आँखे मूंद कर कुछ कल्पना करने लगे
भूल वश समझा गया कि साधना करने लगे औपचारिकता भरी दो-चार बातें क्या हुईं
आप तो संजीदगी से चाहना करने लगे
प्यार की शुरुआत में ही हदें सारी तोड़ दीं
टोकना हर बात पर,आलोचना करने लगे
कुछ दिनों तक हर सितम हँस कर सहे जाते रहे
कुछ दिनों के बाद ही अक्सर मना करने लगे
एक अरसा साथ रह कर भी न मन की थाह थी
एक पल में देह की सम्भावना करने लगे
दूध पीकर भी न बच्चा चुप हुआ जब देर तक
हार कर,पुचकार कर, फिर झुनझुना करने लगे
बेहतर होता जो इनको काट देते जड़ से हम
लोग दिल के जंगलों को क्यूँ घना करने लगे