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शुक्रवार, 27 अगस्त 2010

ग़ज़ल

चाँद, सूरज जमीन पर लाओ
प्यार करते हो तो कुछ कर लाओ

बाद मुद्दत के हम मिले होंगे
गुजरे वक्तों की कुछ खबर लाओ

आज तन्हाईओं की चाहत है
कल्ह कहोगे की इक शहर लाओ

मेरी हालत का कुछ पता तो चले
ज़िन्दगी उनको मेरे घर लाओ

देखूं किस्मत में कहीं हूँ की नहीं
हाथ अपना जरा इधर लाओ

ये भी क्या इन उदास आँखों में
बातों बातों में अश्क भर लाओ

1 टिप्पणी:

  1. बहुत खूब सौरभ जी ....एक और उम्दा ग़ज़ल ......

    "मेरी हालत का कुछ पता तो चले
    ज़िन्दगी उनको मेरे घर लाओ "

    दिल को छू लेने वाली पंक्तियाँ.....

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