बहुत लम्बी लड़ाई लड़ रहा है
क्यूँ अपनी जग हँसाई कर रहा है
वो उन गलियों को कैसे भूल जाये
उन्ही गलियों में उसका घर रहा है
इबादतगाह,गिरिजाघर,शिवालय
मगर होना है जो होकर रहा है
मै दुनिया से हूँ या दुनिया है मुझसे
भरम मन में मेरे अक्सर रहा है
मुकद्दर में भले सहरा लिखा है
कोई साया है जो सर पर रहा है
तजुर्बे का तकाजा तो यही है
सबेरा शाम से बेहतर रहा है
सुन्दर लेखन।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!!
जवाब देंहटाएंगहरी बात करती हुई सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंurdu par bahut achchhi pakad hai. gahan lekhan. shubhkamnayen
जवाब देंहटाएं"मै दुनिया से हूँ या दुनिया है मुझसे
जवाब देंहटाएंभरम मन में मेरे अक्सर रहा है"
Best lines of poem.good work keep it up.
तजुर्बे का तकाजा तो यही है
जवाब देंहटाएंसबेरा शाम से बेहतर रहा है
बहुत खूब......!!