वहां क्यूँ हैं जहाँ होने का कुछ मतलब नहीं मिलता
कोई आदत नहीं मिलती किसी से ढब नहीं मिलता
हकीकत में भटकना ही तुम्हे मंजूर है वरना
अगर तुम चाहते बढ़ना तो रस्ता कब नहीं मिलता
मुझे मालूम है ये दोस्ती भी टूट जाएगी
लहू लहजा तो मिलता है मगर मजहब नहीं मिलता
वो होता है पसीने की चमकती बूँद में बैठा
बुतों को पूजने वालों को हरगिज रब नहीं मिलता
हमारा भी है दिल और दिल का बोलो क्या भरोसा है
मिलेगा अपनी मर्जी से यूँ ही जब तब नहीं मिलता
ए़क और सुंदर और प्रभावशाली ग़ज़ल .. खास तौर पर ये पंक्ति तो लाजवाब है :
जवाब देंहटाएं"वो होता है पसीने की चमकती बूँद में बैठा
बुतों को पूजने वालों को हरगिज रब नहीं मिलता"
शुभकामना सहित
आज पहली बार आना हुआ पर आना सफल हुआ देर से आने का दुःख भी बेहद प्रभावशाली प्रस्तुति किस किस बात की तारीफ करूँ बस बेमिसाल..... लाजवाब.......
जवाब देंहटाएं"हकीकत में भटकना ही तुम्हे मंजूर है वरना
जवाब देंहटाएंअगर तुम चाहते बढ़ना तो रस्ता कब नहीं मिलता"
"मुझे मालूम है ये दोस्ती भी टूट जाएगी
लहू लहजा तो मिलता है मगर मजहब नहीं मिलता"
पहले तो कहूँगा की बहुत खूब....... मेरी तरफ से कुछ सुझाव हैं अगर पसंद आयें तो .....
" हकीकत में भटकना ही तुम्हे मंजूर है वरना
चाहते तुम गर बढ़ना तो रस्ता क्यूँ नहीं मिलता"
"मुझे मालूम है ये दोस्ती भी टूट जाएगी एक दिन
दिल मिलते हैं हमारे,मगर मजहब नहीं मिलता"
ये सिर्फ मेरे सुझाव हैं अन्यथा मत लेना और मैं जानना चाहता हूँ की इस ब्लॉग पर लिखा सब तुम्हारा है ?