दिल की चाहत जवान हो ली है
ओह!आफत में जान हो ली है
तू निशाने पे है बिचारे दिल
उनकी नजरें कमान हो ली है
बात का जिक्र तक न था कोई
बात खुद ही बयान हो ली है
नींद आती नहीं है आँखों को
हाय!कैसी थकान हो ली है
धरती ओझल हुई है पंछी को
कितनी ऊँची उड़ान हो ली है
दिल की चाहत जवान हो ली है
ओह!आफत में जान हो ली है
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गुरुवार, 13 मई 2010
ग़ज़ल
भरता ही नहीं दिल का घड़ा 'मोर' मांगे है
और,अभी और,अभी और मांगे है
तपते बदन को चाह अभी और तपिश की
हरदम नसों में खून की घुरदौड़ मांगे है
निश्चिन्त रहे मन तो उसे नींद कहाँ है
सोने के लिए मन किसी से होड़ मांगे है
वो मस-अला शुरुआत से बाहिर-ए-बहस है
जो मस-अला हम आप सब की गौर मांगे है
मौकों के,मरहलों के इस बहते सफ़र में
नादाँ है प्लेटफारम पर ठौर मांगे है
और,अभी और,अभी और मांगे है
तपते बदन को चाह अभी और तपिश की
हरदम नसों में खून की घुरदौड़ मांगे है
निश्चिन्त रहे मन तो उसे नींद कहाँ है
सोने के लिए मन किसी से होड़ मांगे है
वो मस-अला शुरुआत से बाहिर-ए-बहस है
जो मस-अला हम आप सब की गौर मांगे है
मौकों के,मरहलों के इस बहते सफ़र में
नादाँ है प्लेटफारम पर ठौर मांगे है
ग़ज़ल
तेरी तक़दीर में पायल का कारा हो नहीं सकता
तुम्हारे पांव का अलता तुम्हारा हो नहीं सकता
इसी के वास्ते दिल मेरा ये इसरार करता है
तुम्हे यह लाज का घूँघट गवारा हो नहीं सकता
ये मुमकिन है सियासत हो हमारे खून की प्यासी
वतन यह सिरफिरा सारा का सारा हो नहीं सकता
समय के सत्य का एहसास है अब कई खुदाओं को
अभी के दौर का इन्सां बिचारा हो नहीं सकता
बस इतना है की अपने मर्ज से गहरी मुहब्बत है
अलग इस दर्द से हरगिज गुजारा हो नहीं सकता
किसी बच्चे की आँखों में चमकते जुगनुओं जैसा
सितारा कोई भी ऐसा सितारा हो नहीं सकता
तुम्हारे पांव का अलता तुम्हारा हो नहीं सकता
इसी के वास्ते दिल मेरा ये इसरार करता है
तुम्हे यह लाज का घूँघट गवारा हो नहीं सकता
ये मुमकिन है सियासत हो हमारे खून की प्यासी
वतन यह सिरफिरा सारा का सारा हो नहीं सकता
समय के सत्य का एहसास है अब कई खुदाओं को
अभी के दौर का इन्सां बिचारा हो नहीं सकता
बस इतना है की अपने मर्ज से गहरी मुहब्बत है
अलग इस दर्द से हरगिज गुजारा हो नहीं सकता
किसी बच्चे की आँखों में चमकते जुगनुओं जैसा
सितारा कोई भी ऐसा सितारा हो नहीं सकता
मंगलवार, 11 मई 2010
ग़ज़ल
बदलते वक़्त की हलचल कहेगा
मेरी कोशिश को फिर से छल कहेगा
घुटन,आंसू,शरारों,सिसकियों को
वो कब तक यूँ सुनेहरा कल कहेगा
कवि है औ कवि से कैसा डरना
करेगा कुछ नहीं केवल कहेगा
सवालों का निशाना है वो सबका
न जाने कौन उसको हल कहेगा
हमारी चुप्पियों की दास्तानें
कहेगा आने वाला कल कहेगा
मेरी कोशिश को फिर से छल कहेगा
घुटन,आंसू,शरारों,सिसकियों को
वो कब तक यूँ सुनेहरा कल कहेगा
कवि है औ कवि से कैसा डरना
करेगा कुछ नहीं केवल कहेगा
सवालों का निशाना है वो सबका
न जाने कौन उसको हल कहेगा
हमारी चुप्पियों की दास्तानें
कहेगा आने वाला कल कहेगा
शुक्रवार, 7 मई 2010
तैंतीस वर्ष 1
taintis varsh ki umra ka prem
jharneke jaisa sangitmay aur uddam nahi hota.
na hi hota hai jheel ki tarah shant aur pardarshi.
nadi ki sahaj ravani aur maujen bhi nahi hoti taintis varsh ke prem me.
samandar ke jaisa gehra aur khara nahi hota
kisi dariya jaisa badbudar hota hai taintis varsh ka prem
jisme jahan tahan baithe hothe hai saanp.
jharneke jaisa sangitmay aur uddam nahi hota.
na hi hota hai jheel ki tarah shant aur pardarshi.
nadi ki sahaj ravani aur maujen bhi nahi hoti taintis varsh ke prem me.
samandar ke jaisa gehra aur khara nahi hota
kisi dariya jaisa badbudar hota hai taintis varsh ka prem
jisme jahan tahan baithe hothe hai saanp.
मेरे प्राण
maine jin kitabon ko jatan se saheja
aapne unki silai udhed di.
jin diariyon ko varshon sambhala
aapne unke panne gayab kar diye.
shaffaq divaron pe chitra ukere
aur mehnat se banaye mere chitron pe paint ki dibiya udel di.
meri likhi kavitaon ke upar hi aapne kiya varnmala ka abhyas.
jab mai karne baitha abhyas to bar bar dala vyavdhan.
kitna kiya pareshan.
mere pran.
aapne unki silai udhed di.
jin diariyon ko varshon sambhala
aapne unke panne gayab kar diye.
shaffaq divaron pe chitra ukere
aur mehnat se banaye mere chitron pe paint ki dibiya udel di.
meri likhi kavitaon ke upar hi aapne kiya varnmala ka abhyas.
jab mai karne baitha abhyas to bar bar dala vyavdhan.
kitna kiya pareshan.
mere pran.
मंगलवार, 4 मई 2010
देह
deh mane dahak
deh mane chhuan
deh mane bhookh
deh mane sukh
deh mane pasina
deh mane rakt
deh mane jakhm
deh mane dukh
deh mane vastra
deh mane gehna
deh mane itra
deh mane dambh
deh mane jurm
deh mane paap
deh mane saja
deh mane mitti.
deh mane chhuan
deh mane bhookh
deh mane sukh
deh mane pasina
deh mane rakt
deh mane jakhm
deh mane dukh
deh mane vastra
deh mane gehna
deh mane itra
deh mane dambh
deh mane jurm
deh mane paap
deh mane saja
deh mane mitti.
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