भरता ही नहीं दिल का घड़ा 'मोर' मांगे है
और,अभी और,अभी और मांगे है
तपते बदन को चाह अभी और तपिश की
हरदम नसों में खून की घुरदौड़ मांगे है
निश्चिन्त रहे मन तो उसे नींद कहाँ है
सोने के लिए मन किसी से होड़ मांगे है
वो मस-अला शुरुआत से बाहिर-ए-बहस है
जो मस-अला हम आप सब की गौर मांगे है
मौकों के,मरहलों के इस बहते सफ़र में
नादाँ है प्लेटफारम पर ठौर मांगे है
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