बदलते वक़्त की हलचल कहेगा
मेरी कोशिश को फिर से छल कहेगा
घुटन,आंसू,शरारों,सिसकियों को
वो कब तक यूँ सुनेहरा कल कहेगा
कवि है औ कवि से कैसा डरना
करेगा कुछ नहीं केवल कहेगा
सवालों का निशाना है वो सबका
न जाने कौन उसको हल कहेगा
हमारी चुप्पियों की दास्तानें
कहेगा आने वाला कल कहेगा
"घुटन,आंसू,शरारों,सिसकियों को
जवाब देंहटाएंवो कब तक यूँ सुनेहरा कल कहेगा"
bahut sunder baat keh rahe hain aap ! gambhir !