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बुधवार, 19 जनवरी 2011

ग़ज़ल

पेड़ तो फलदार होता जायेगा
पर पहुँच के पार होता जायेगा

फासले बढ़ते रहेंगे  हर कदम
कारवां बेजार होता जायेगा

यातना बन जाएगी मीठी छुरी
जुल्म कारोबार होता जायेगा

औपचारिक गर्मजोशी से भरा
और भी व्यव्हार होता जायेगा

बस्तियां गमगीन होतीं हों तो हों
राजपथ गुलजार होता जायेगा

भूख,ग़ुरबत को करो पर्दानशीं
इस गली दरबार होता जायेगा

और होते जायेंगे नाखून पैने
तेजतर हथियार होता जायेगा

देखते रहिये हमेशा की तरह
कुछ नया हर बार होता जायेगा  

4 टिप्‍पणियां:

  1. फासले बढ़ते रहेंगे हर कदम
    कारवां बेजार होता जायेगा


    बस्तियां गमगीन होतीं हों तो हों
    राजपथ गुलजार होता जायेगा......

    बहुत ही सार्थक शेर लिखे हैं आपने. अच्छी गजल. शुभकामना

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  2. सौरभ जी,

    वाह...वाह....दाद कबूल करें.....हर शेर बेहतरीन......सच को उजागर करती और दिल को छू लेने वाली ग़ज़ल है यह....इस पोस्ट के लिए बधाई है आपको....

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  3. बस्तियां गमगीन होतीं हों तो हों
    राजपथ गुलजार होता जायेगा

    सुभान अल्लाह...वाह..
    नीरज

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