पगडण्डीयां, मुंडेर और खलिहानें भूल गए
पनघट पे किये वायदे निभाने भूल गए
यौवन के चौखटे पे मिस वर्ल्ड के कदम
परियों के सारे किस्से,अफसाने भूल गए
डैडी की सभ्यता से ऐसे जुड़े जनाब
बच्चे पिता का अर्थ,माँ के माने भूल गए
औलाद की नादानियों से हो खफा मियां
कैसे थे आप खुद भी दीवाने, भूल गए
सरकार से हड़प ली अनुदान की रकम
बोनस मजूर का पर कारखाने भूल गए
जब सामना हुआ तो मेरे होश उड़ गए
जितने बुने थे मन में वो बहाने भूल गए
कोशिश भी की तो होठ ये फैले नहीं जरा
लगता है हम सही में मुस्कुराने भूल गए
याददाश्त बिगड़ गई है या कुछ और बात है
फिर आज घर पे चश्मा सिरहाने भूल गए
बहुत बढ़िया ग़ज़ल... सौरभ जी अभी आपका तेवर देख कर अच्छा लग रहा है..
जवाब देंहटाएंसौरभ जी,
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार ग़ज़ल है.......आप अपनी गजलों में जो बातें उठाते हैं उनके लिए मेरा सलाम है आपको......ये शेर दिल को छू गए -
डैडी की सभ्यता से ऐसे जुड़े जनाब
बच्चे पिता का अर्थ,माँ के माने भूल गए
कोशिश भी की तो होठ ये फैले नहीं जरा
लगता है हम सही में मुस्कुराने भूल गए
बहुत ही शानदार ग़ज़ल है.
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