तुम्हारे होठ पर चुप्पी का ताला पड़ गया कैसे
न बोलोगे मिलेगी मुजरिमों को फिर सजा कैसे
वहम बम के धमाकों का सरे-बाज़ार,मंदिर में
न जाने अब छंटेगा मन से ये काला धुआं कैसे
अगर चावल,मसाले,दाल शौपिंग मॉल बेचेंगे
रहेगी इस तरह जिंदा किराने की दुकां कैसे
जहाँ भूकंप में बिछ गए कई इमारतों के शव
वहीँ ये फूस वाला झोंपड़ा साबुत बचा कैसे
हमारे नाव के जानिब हवा ना भी बहे तो क्या
भंवर के बीच में हारेंगे हिम्मत हम भला कैसे
न बोलोगे मिलेगी मुजरिमों को फिर सजा कैसे
वहम बम के धमाकों का सरे-बाज़ार,मंदिर में
न जाने अब छंटेगा मन से ये काला धुआं कैसे
अगर चावल,मसाले,दाल शौपिंग मॉल बेचेंगे
रहेगी इस तरह जिंदा किराने की दुकां कैसे
जहाँ भूकंप में बिछ गए कई इमारतों के शव
वहीँ ये फूस वाला झोंपड़ा साबुत बचा कैसे
हमारे नाव के जानिब हवा ना भी बहे तो क्या
भंवर के बीच में हारेंगे हिम्मत हम भला कैसे
आज के हालात पर आपकी ग़ज़ल चिंता जता रही है... लम्बे बहर की ग़ज़ल पर भी बढ़िया नियंत्रण...
जवाब देंहटाएंजहाँ भूकंप में बिछ गए कई इमारतों के शव
जवाब देंहटाएंवहीँ ये फूस वाला झोंपड़ा साबुत बचा कैसे
बेजोड़...वाह...
नीरज