कैमरे में कोई हज़ार से ज्यादा
तस्वीरें होंगी
उन्हें इकठ्ठे देख पाना तो मुश्किल है हीं
अगर याद करना पड़े कि
कौन सी तस्वीर कहाँ हो सकती है
तो और मुसीबत
लैपटॉप तस्वीरों से भरा है
उनमे खुद की उतारी
तस्वीरों के अलावा
दूसरों के द्वारा उतारी गई
तस्वीरों का भी जखीरा है
तस्वीरें फेसबुक,ऑरकुट पर भी हैं
कुछ यादगार तस्वीरों को
फ्रेम में जड़ कर
घर की दीवारों पर टांगा गया है
कुछ शेल्फ में करीने से
सजाई गईं हैं
एल्बम में पड़े तस्वीरों की भी
कतई कमी नहीं है
बीते हुए समय की गवाह
नई और पुरानी कई तस्वीरें
यूँ हीं बेतरतीब
आलमारी में पड़ी हैं
उनमे से कुछ एक दूसरे से चिपक रही हैं
कुछ पीली पड़ रही हैं
कुछ पर सफ़ेद धब्बे सा
कुछ चस्पां होने लगा है
लेकिन
कुछ तस्वीरें कहीं नहीं हैं
न कैमरे में
न लैपटॉप में
न फ्रेम में
न एल्बम में
न तस्वीरों के मलबे में
वे गुम नहीं हुई हैं
वे धुंधली पड़ने का नाम नहीं लेतीं
वे आँखों में टंगी हुई है
वे आँखों में टंगी हुई है
शायद.